न मैं उसके जैसा हूँ ,न मैं तेरे जैसा हूँ ,
जो देखेगा मुझे जैसा ,यहाँ मैं उसके जैसा हूँ..
न मेरी जाति है कोई ,न मज़हब से है मेरा नाम,
न मंदिर की मुझे चिंता ,न मस्जिद से मुझे है काम.
मैंने देखा है उसे प्यार की रंगीन मुद्रा में,
मगर मैं फिर भी कहता हूँ , न कहता हूँ मैं गैरों से..
मैंने प्यार की अटखेलियां दोनों की देखीं है,
मगर अब चाह बस मेरी यही इतनी सी बाक़ी है,
मैं चाहता हूँ कि मैं बस प्यार देखूं ,न क्रोध ,न भय ,न चिंता,
क्यूंकि मैं मैं नहीं,मैं तुम हूँ,मैं वो हूँ ,मैं ये हूँ,
मैं सबकुछ नहीं …….मैं आइना हूँ…
...atr
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