कभी जब शाम हो जाये , सुबह के गीत गया कर.
ये रातें भ्रमित करती है, न इस चक्कर में आया कर.
कभी सांसों में अटकी हो किसी के प्यार की खुश्बू,
फ़िज़ा महकाना चाहे तो मीर को गुनगुनाया कर.
जिंदगी प्रेम है, उत्साह है , आनंद पूरा है,
सलीके से जियें , हर पल का बस उत्सव मनाया कर.
ग़ज़ब की सादगी थी मीर उसके हिज़्र में देखो,
वो ख्वाबों में चली आयी ये कहने , "मुस्कराया कर"
...atr
ये रातें भ्रमित करती है, न इस चक्कर में आया कर.
कभी सांसों में अटकी हो किसी के प्यार की खुश्बू,
फ़िज़ा महकाना चाहे तो मीर को गुनगुनाया कर.
जिंदगी प्रेम है, उत्साह है , आनंद पूरा है,
सलीके से जियें , हर पल का बस उत्सव मनाया कर.
ग़ज़ब की सादगी थी मीर उसके हिज़्र में देखो,
वो ख्वाबों में चली आयी ये कहने , "मुस्कराया कर"
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