Thursday 19 March 2015

आज फिर कोई रो रहा है…
फिर कहीं किसी किसी गली से आवाज़ आ रही है,
आज फिर कोई रो रहा है….
फिर कहीं कोई कसक नैनों में आ गयी,
फिर वादो की टूटी माला कोई पिरो रहा है,
आज फिर कोई रो रहा है..
आँखों से उमङा सागर दीदार प्रिया का पाकर ,
फिर कोई प्रणयनी का आँचल भिगो रहा है,
आज फिर कोई रो रहा है…..
प्रीति की लपट से फिर झुलस गया कोई ,
फिर तीर से हो लथपथ दिल को संजो रहा है ,
आज फिर कोई रो रहा है……

फिर आज कोई बैठा समंदर पिरो रहा है..


…atr

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