Saturday 21 March 2015

तेरे शहर में..

 आज हम भी है मेहमान तेरे शहर में,
 दिखता नहीं मकान तेरे शहर में.
ग़ुम हो गयी है शाम  की मस्ती  भी अब यहाँ,
ग़ुम  हो गया करार तेरे शहर में..
आते  राहों  में मिल  गया तेरा आशिक,
कहने लगा  न जाओ तेरे शहर में.
जब से तुमने छोड़ा है दस्त ए गुलाब को,
वन हो गया वीरान ,तेरे शहर में.
बन्दों का हाल ऐसा मैं कह न सकता मीर,
पागल हुए जवान   तेरे शहर में.
दिन भर उठी है धूल,पैरों में आ लगी,
मैंने कहा  सलाम है,तेरे शहर में.
हर दिन यहाँ पर तेरी यादो का तमाशा,
बिकता है हर मकान तेरे शहर में.
जो गुल था ,गुलदान था,गुलशन ,ग़ुलाब था,
अब आंधी है ,और तूफ़ान तेरे शहर में..

...atr

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