अपरिपक्व विचारों के साथ सुबह जगा हुआ सूर्य दिन भर के संघर्षों, खुशियों, दुखों और विमर्शों को देखकर एवं सुनकर जब शाम को प्राप्त हो जाता है तो उसके विचार परिपक्व हो गए रहते हैं | ऐसी ही सांझ के विचार और विचारों की सांझ को अपने साथ लेकर प्रस्तुत हूँ मैं आपका अपना, अभिषेक |
आइये आपको भी विचारों की इसी गंगा में ले चलें जो हृदयों की काशी में बह रही है |
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